नमस्ते, मेरा नाम परवेज अंसारी है। क्या आप जानते हैं कि सफर सिर्फ जगहें देखने का नाम नहीं है, बल्कि उन लम्हों को जीने का भी है? मैं एक घुमक्कड़ हूं, नई जगहें एक्सप्लोर करना और वहां की कहानियों को समझना मेरी खासियत है। पर आज, मैं आपको रणथंभौर की अपनी ताज़ा और रोमांचक यात्रा पर ले चलने वाला हूं।


यह कहानी सिर्फ एक ट्रिप की नहीं है, बल्कि एक अनुभव की हैवह अनुभव जो आपको जंगल की गहराई में ले जाएगा, जहां बाघिन "रिद्धि" और उसके शावक आपका इंतज़ार कर रहे हैं।

मुझे भारत के अलग-अलग हिस्सों की यात्रा करने का शौक है। कश्मीर से केरल, जैसलमेर से महाबलेश्वर, और मैसूर से सवाई माधोपुरहर जगह की अपनी अनोखी संस्कृति और इतिहास है। मैंने इन कहानियों को करीब से देखा और जिया है। लेकिन इस बार कुछ अलग था। इस बार मैंने अपनी यात्रा के अनुभवों को लिखने का फैसला किया ताकि ये यादें हमेशा ताज़ा रहें और दूसरों के लिए भी प्रेरणा बनें।



इस सर्दी में, एक छोटा परिवारिक ट्रिप प्लान कर रहा था। जैसलमेर जाने का मन था, पर समय और परिस्थितियां साथ नहीं थीं। तभी मेरे बेटे ने जंगल सफारी का जिक्र किया, और एक नई योजना बनीरणथंभौर नेशनल पार्क। जयपुर के पास होने की वजह से यह सबसे सही विकल्प था।

मैंने होटल बुकिंग और सफारी की जानकारी जुटाना शुरू किया। रिसॉर्ट " अर्थ एट रणथंभौर" को चुना और 9 फरवरी की सुबह 6:30 बजे सफारी का स्लॉट बुक कर लिया। सारी तैयारी हो गई, और 8 फरवरी को सुबह 10 बजे हम अपनी यात्रा पर निकल पड़े।

ड्राइविंग का अपना ही मज़ा है, और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से जाना तो सोने पर सुहागा था। 120 किमी/घंटा की स्पीड, गाड़ियों का शोर, और बैकग्राउंड में हिंदी गानों की धुनऐसा लग रहा था जैसे कोई फिल्मी सीन जी रहा हूं। सड़क इतनी सुगम थी कि सफर थकावट की जगह ताजगी दे रहा था। यह सिर्फ ड्राइविंग नहीं थी, यह एक एडवेंचर था।




करीब 2:05 बजे हम रिसॉर्ट पहुंचे। रिसॉर्ट के शांत और विशाल वातावरण ने हमें मोहित कर लिया। हर कोने में शांति और प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव हो रहा था। विला तैयार नहीं था, इसलिए हमें रेस्टोरेंट में लंच का सुझाव दिया गया। लंच में भारतीय खाने की वैरायटी देखकर मन खुश हो गया। हर बाइट स्वाद से भरी थी, और यह लंच हमारे सफर का परफेक्ट स्टार्ट बना।

बाद में, बच्चों ने स्विमिंग पूल में मस्ती की। ठंड के मौसम में भी पूल के आसपास की ऊर्जा इतनी मजेदार थी कि बच्चों ने घंटों एंजॉय किया। शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ, जिसमें राजस्थानी नृत्य, मैजिक शो, हस्तशिल्प प्रदर्शनी, और वाइल्डलाइफ डॉक्यूमेंट्री शामिल थे। तारे देखने के लिए टेलीस्कोप की व्यवस्था ने इसे और खास बना दिया। ऐसा लग रहा था जैसे एक दिन में कई अनुभव समेट लिए।



अगली सुबह 5 बजे उठे। सफारी के लिए तैयार थे, पर ठंड का अंदाजा नहीं था। बिना गरम कपड़ों के जंगल में जाना किसी एडवेंचर से कम नहीं था। कैन्टर में बैठते ही ठंडी हवा ने हमें झकझोर दिया, पर जंगल का रोमांच हर ठंड को बेमानी कर रहा था। रास्ते में गाइड ने नेशनल पार्क के जोन, टाइगर की कहानियां, और अन्य जानकारियां साझा कीं। ऐसा लग रहा था जैसे हम किसी रहस्यमय दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं।

और फिर आया वो पलजहां झील के पास "रिद्धि" नाम की बाघिन अपने तीन शावकों के साथ थी। वो पल ऐसा था जैसे समय ठहर गया हो। डर, रोमांच, और खुशी का ऐसा मिश्रण पहले कभी महसूस नहीं हुआ। बाघिन को इतने करीब से देखना एक सपने जैसा था। इसके अलावा, हमने मगरमच्छ, मोर, हिरण, और स्लॉथ बियर जैसे अन्य जीवों को भी देखा। यह सफारी हमारी जिंदगी का सबसे रोमांचक अनुभव था।

सफारी खत्म होने के बाद, हमने रिसॉर्ट में नाश्ता किया। स्टाफ ने हमारे लिए नाश्ता तैयार रखा था, और यह उनके आतिथ्य का सबसे अच्छा उदाहरण था। इसके बाद, हमने रणथंभौर किले की ओर रुख किया।

किले पर हमारी मुलाकात गाइड हरिकेश से हुई, जिन्होंने किले की कहानी और जंगल की रोचक जानकारियां दीं। गणेश मंदिर और तालाब जैसे स्थानों की कहानी सुनना बेहद रोचक था। बच्चों के लिए पिठ्ठू की व्यवस्था ने यात्रा को और आरामदायक बना दिया। किले से पूरे जंगल का नजारा मंत्रमुग्ध कर देने वाला था। यह इतिहास और प्रकृति का अद्भुत संगम था।

दोपहर 3:30 बजे, जयपुर लौटने का फैसला किया। सफर के दौरान हर लम्हे को याद कर रहे थे। जंगल में खुले में बाघ को देखना, बिना किसी पिंजरे केयह अनुभव कभी भुलाया नहीं जा सकता।

अगर आप रणथंभौर जाने का सोच रहे हैं, तो मेरी ये सलाह जरूर अपनाएं:

  1. सुबह की सफारी बुक करें: टाइगर देखने की संभावना अधिक होती है।
  2. Gypsy का विकल्प चुनें: अगर आप 4-6 लोग हैं, तो यह ज्यादा निजी अनुभव देता है।
  3. मौसम के अनुसार कपड़े ले जाएं: सर्दियों में गरम कपड़े जरूर रखें।
  4. सफारी पहले से बुक करें: एजेंट के माध्यम से डिस्काउंट मिल सकता है।
  5. अच्छा रिसॉर्ट बुक करें: आराम और मस्ती के लिए।
  6. अपना वाहन इस्तेमाल करें: समय पर पिकअप पॉइंट पर पहुंचने के लिए।

रणथंभौर की यह यात्रा सिर्फ एक ट्रिप नहीं थी, यह प्रकृति को करीब से देखने का मौका था। अगर आपने इसे अब तक एक्सप्लोर नहीं किया है, तो इसे अपनी लिस्ट में जरूर जोड़ें। अपने विचार और अनुभव कमेंट में साझा करेंआपसे सुनने का इंतजार रहेगा!